शुक्रवार, 26 सितंबर 2014

गरीबी


पिछले 15 सालों  में भारत के खरबपतियों की 
सम्पत्ति 12 गुणा हो गयी है  । यह धन देश की 
गरीबी को दो बार दूर करने के लिए काफी है 



मुकेश अम्बानी

इस सूचि में मुकेश अम्बानी  सम्पत्ति सबसे अधिक है और 
सभी 70 खरबपतियों की मूल जमा सम्पत्ति 390 बिलियन 
डॉलर यानि 24  लाख करोड़ रूपये के बराबर है , जो कि देश 
के कुल घरेलू उत्पाद का एक चौथाई है । शीर्ष 10 खरबपतियों 
की निजी सम्पत्ति का जोड़ देश की जी  डी  पी का 6 प्रतिशत 
बैठता है । 


डॉलर खरबपति

2014 में हुरून द्वारा दुनिया भर के अमीरों की जारी की गयी  सूची के अनुसार अनुसार भारत में 70 डॉलर खरबपति हैं। (ध्यान दें रूपये के मौजूदा दर के हिसाब से एक बिलियन डॉलर 6300 करोड़ रूपये के बराबर है ) 2013 की इसी सूची के मुकाबले इस आंकड़े में 13 का इजाफा हुआ है । यानिकि  साल  में देश में डॉलर खरबपतियों की संख्या  33 प्रतिशत बढ़ गयी । 

आखिर किस कीमत पर

आखिर किस कीमत पर
हम में से एक हिस्से की कुछ ऐसी मानसिकता बंटी जा रही है
कि मुझे आज जीना है पूरे ऐशो आराम के साथ चाहे  इसके वास्ते
अपनी नैतिकता गिरवी रखनी पड़े , चोरी या हत्या करनी पड़े , माँ
बाप भाई बहन की सुपारी देनी पड़े , झूठ बोलना पड़े , घोटाले में
हिस्सेदार होना पड़े या देश बिदेशी कंपनी को गिरवी रखना पड़े,
वातावरण का प्रदूषण किसी भी हद तक करना पड़े , मिलावट किसी
 हद तक करनी पड़े  । इस सच्चाई को ढंकने के लिए लच्छेदार जुमले
 घड़ना भी खूब आता है जैसे राष्ट्र प्रेम , भारत महान आदि आदि ।







GDP

1991 से 2002 के बीच जहाँ अर्थव्यवस्था में कुल जमा पूंजी में 
4 गुणा बढ़ोतरी हुई है, वहीँ निजी कार्पोरेट क्षेत्र में यह 9 गुणा बढ़ 
चुकी है । (स्रोत -सी एस ओ , नेशनल अकाऊंट्स स्टैटिस्टिक्स ) 
कार्पोरेट सैक्टर के बढ़ते मुनाफे का अंदाजा इस बात से लगाया जा
 सकता है कि जहाँ आजादी से लेकर 1991 के बीच निजी कारपोरेट
 क्षेत्र के बजट तथा जी डी पी का अनुपात 2 फीसदी के स्तर पर बना
 रहा था, वहीँ 2007 -2008 में यह बढ़कर 9. 4 फीसदी पहुँच चुका  था 
 और अब 8 फीसदी के करीब है ।